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1.सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। 'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने2.हनुमान आसन
यह आसन एक मध्यम श्रेणी का योग आसन है, जैसा कि नाम से इंगित है यह आसन हनुमान जी से सम्बंधित है। हनुमान जी ने जब समुद्र तट से श्री लंका के लिए छलांग लगायी थी, उसी छलांग पर यह आसन आधारित है। इस आसन में हम अपने शरीर को एक बन्दर की भाँती मोड़ने का प्रयास करते हैं, इसीलिए इस आसन को मोंकी पोज़ (Monkey Pose) भी कहा जाता है। कूल्हों की मासपेशियो के लिए लाभकारी यह आसन झांघों और पैरो को लचीला बनाता है। कमर व कूल्हे से सम्बंधित परेशानी में ये लाभकारी है
3.शीर्षासन
तनाव दूर करने के लिए
इन दिनों तनाव होना आम बात है। इसे दूर करने के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है। इसी संबंध में एनसीबीआई ने एक रिसर्च पेपर को प्रकाशित किया है। इस रिसर्च पेपर के अनुसार, तनाव व उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए योग का प्रयोग किया गया। इन योगासनों में शीर्षासन को भी जगह दी गई, जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आए (2)। शीर्षासन शरीर और मन को शांत करने में मदद करता है। इससे तनाव दूर हो सकता है (3)। इसलिए, शीर्षासन के लाभ में तनाव से छुटकारा पाना शामिल हो सकता है।
2. पाचन के लिए
पेट को ठीक रखने के लिए पाचन तंत्र का अच्छे से काम करना जरूरी है। ऐसे में पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए शीर्षासन का सहारा लिया जा सकता है। इस आसन के जरिए होने वाली शारीरिक गतिविधि आहार को पचाने में मदद कर सकती है (4)। शीर्षासन करने से शरीर में खून का प्रवाह बेहतर होता है, जिसका असर पाचन तंत्र भी नजर आ सकता है। इस प्रकार शीर्षासन के फायदे में बेहतर पाचन तंत्र भी शामिल है।
3. अस्थमा के इलाज में मदद
योग में श्वसन क्रिया के मुख्य भूमिका मानी जाती है। इसलिए, श्वसन क्रिया से संबंधित किसी भी समस्या को दूर करने के लिए योग करना अच्छा माना जा सकता है। वहीं, अस्थमा श्वसन क्रिया से जुड़ी समस्या है। इसके कारण सांस फूलने लगती है। ऐसे में शीर्षासन करने पर अस्थमा की स्थिति में सुधार हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध किए जाने की जरूरत ह
5. डिप्रेशन (अवसाद)योग के माध्यम से मूड में सुधार किया जा सकता है। जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि शीर्षासन करने पर मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ सकता है। इससे डिप्रेशन से निकलने में मदद मिल सकती है (7)। इसलिए, योग को अवसाद के लिए अच्छा इलाज माना जा सकता है।
4.अनुलोम विलोम प्राणायाम
नाड़ियाँ मानव शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल है जो विभिन्न कारणों से बंद हो सकती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम साँस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom) के रूप में भी जाना जाती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं।
5.ताड़ासन
ताड़ासान योग को करते समय व्यक्ति ताड़ वृक्ष’ के समान मुद्रा में दिखता है। इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं यह एक बहुत ही सरल आसन है इसे किसी भी आयु के व्यक्ति आसानी से कर सकते है। ताड़ासन योग इसका जितना भी विवरण दिया जाये कम है। इस योग को अपनाने से पूरा शरीर लचीला बनता है। इस योगासन द्वारा सूछ्म मांसपेशियों को भी काफी हद तक लचीला बनाया जा सकता है। यह योगाभ्यास आपको चुस्त दुरुस्त ही नहीं करता बल्कि आपके शरीर को सुडौल एवं खूबसूरती भी प्रदान करता है। इसको अपनाने से शरीर की जमी हुई चर्बी पिघल जाती है जिससे आपकी पर्सनालिटी आकर्षक लगती है। लाभ के साथ साथ इसके कुछ सावधानियां भी हैं।
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