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25 जुलाई, 2020 को भारत सरकार ने कश्मीर घाटी में उगाए जाने वाले केसर के लिये भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) टैग का प्रमाण पत्र जारी किया।
भौगोलिक संकेतक टैग मिलने से कश्मीर केसर निर्यात बाज़ार में अधिक प्रमुखता हासिल करेगा और इससे किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
कश्मीरी केसर दुनिया का एकमात्र केसर है जो 1600 मीटर की ऊँचाई पर उगाया जाता है। जो प्राकृतिक गहरे लाल रंग, तीक्ष्ण सुगंध, कड़वे स्वाद, रासायनिक मुक्त प्रसंस्करण एवं उच्च गुणवत्ता वाले रंग की क्षमता जैसी अपनी अनूठी विशेषताओं से पहचाना जाता है।
जम्मू एवं कश्मीर में करेवा, ज़ाफरान (केसर) की खेती के लिये प्रसिद्ध है।
करेवा (Karewa):
कश्मीर घाटी एक अंडाकार बेसिन है जो 140 किमी लंबा और 40 किमी चौड़ा है।
करेवा, कश्मीर घाटी एवं जम्मू डिविजन की भदरवाह घाटी (Bhadarwah Valley) में विस्तृत झील निक्षेप हैं।
करेवा का निर्माण प्लाइस्टोसिन काल (1 मिलियन वर्ष पहले) के दौरान हुआ था जब पूरी कश्मीर घाटी जलमग्न थी।
पीरपंजाल श्रेणी के उद्भव के कारण जल निकासी प्रणाली में अवरोध उत्पन्न हुआ और लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की एक झील का निर्माण हुआ।
इसके बाद यह झील बारामुल्ला गार्ज के माध्यम से जल निकासी के कारण शुष्क हो गई और छोड़े गए निक्षेपों को ‘करेवा’ के रूप में जाना जाता है। करेवा की मोटाई लगभग 1400 मीटर है।
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